Real Estate Sector Outlook 2023: नए साल में क्या घर खरीदना होगा सस्ता? क्या है अगले साल में उम्मीदें और चुनौतियां?
Real Estate Sector Outlook 2023: एक्सपर्ट्स का कहना है कि महंगाई का दबाव बना हुआ है, ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगले साल की पहली छमाही तक नीतिगत दर में ग्रोथ कर सकता है.
Year Ender 2022: जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों के लिये गुजरता साल बिक्री के लिहाज से अच्छा रहा. कोविड महामारी के बाद मांग बढ़ने से देश के रियल एस्टेट बाजार को इस साल बढ़ती ब्याज दरों के जोखिमों से उबरने में मदद मिली. वैश्विक चुनौतियों के बीच तेजी का रुख अगले साल भी बने रहने की उम्मीद है. सेक्टर की कंपनियों के अनुसार इस साल रिकॉर्ड आवासीय बिक्री हुई और यह प्री-कोविड अवधि यानी 2019 के आंकड़े के साथ 2014 के पिछले उच्च स्तर को भी पार कर गया है.
2023 में कैसा रहेगा रेजिडेंशियल मार्केट?
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि आवासीय अचल संपत्ति बाजार के लिए यह एक सफल वर्ष रहा. इस दौरान बिक्री की गति जारी रही. मूल रूप से बाजार महामारी से पहले की तुलना में कहीं अधिक परिपक्व और स्थिर है. पुरी ने एजेंसी से बातचीत में कहा कि उन्हें 2023 में रेजिडेंशियल मार्केट के 2022 जैसा ही बने रहने की उम्मीद है, लेकिन यह कई बातों पर निर्भर है. वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका, ऊंची महंगाई और ब्याज दरों के साथ कोविड महामारी में तेजी से क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
2022 में कैसा रहा रियल्टी सेक्टर?
रियल एस्टेट कंपनियों की टॉप संस्था क्रेडाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा कि उन्हें भारतीय रियल एस्टेट बाजार में मजबूत और सकारात्मक गति की उम्मीद है. क्रेडाई के पश्चिमी उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा कि दो साल के लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना सुखद और उम्मीद से कहीं अधिक रहा. महंगाई, लगातार बढ़ती रेपो दर और निर्माण सामग्री की लागत में भारी उछाल के बावजूद 2022 में रियल्टी क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हुई है.
रियल एस्टेट सेक्टर के लिए क्या हैं ट्रिगर्स?
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मोदी ने कहा कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र में 2023 में भी तेजी की उम्मीद है. इसका कारण अब यह क्षेत्र मझोले और छोटे शहरों की ओर अपना विस्तार कर रहा है. हालांकि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां भी हैं. IMF ने 2023 में ग्लोबल इकोनॉमी में 0.2 फीसदी तक की गिरावट का अनुमान लगाया है. इसका मतलब यह होगा कि अमीर देशों से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश प्रवाह धीमा हो जाएगा. कई उभरते बाजार और कम आय वाले देश पहले से ही मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट, पूंजी की निकासी और मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहे हैं.
फिर बढ़ेंगी रेपो रेट?
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि महंगाई का दबाव बना हुआ है, ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगले साल की पहली छमाही तक नीतिगत दर में ग्रोथ कर सकता है. एनारॉक के अनुसार 2022 में सात प्रमुख शहरों में प्राथमिक बाजारों (ताजा बिक्री) में आवास की बिक्री 54 प्रतिशत बढ़कर लगभग 3.65 लाख इकाई रही जो अबतक का उच्च स्तर है. यह पिछले साल 2,36,500 इकाई रही थी.
7 प्रमुख शहरों में रेजिडेंशियल बिक्री बढ़ी
देश के प्रमुख सात शहरों दिल्ली-NCR, मुंबई महानगरीय क्षेत्र (MMR), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में आवासीय संपत्तियों की बिक्री 2019 यानी कोविड-पूर्व अवधि में 2,61,360 इकाई और 2014 में 3,42,980 इकाई थी.
इनपुट कॉस्ट बढ़ने से कीमतें बढ़ी
यह बिक्री तब बढ़ी है जब होम लोन में ग्रोथ हुई है. RBI के इस साल मई से नीतिगत दर में ग्रोथ के साथ बैंक ने कर्ज के लिये ब्याज दर भी बढ़ाए. यह एक दशक के निचले स्तर करीब 6.5 फीसदी से ऊपर आई है. प्रोडक्शन कॉस्ट में ग्रोथ के साथ मांग में तेजी ने रियल एस्टेट कंपनियों को उनकी बिक्री की कीमतें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया, जो पिछले कई सालों से बहुत कम मार्जिन पर काम कर रहे थे.
घरों की कीमतों में आई तेजी
इन शीर्ष सात शहरों में पिछले कई साल से स्थिर आवास की कीमतों में औसतन 4-7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच भू-राजनीतिक चिंताओं से इस साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) में सीमेंट और इस्पात जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमतें अधिक बढ़ी थी. हालांकि, स्टील की कीमतें अब कम हो गई हैं, लेकिन कई अन्य वस्तुएं अभी भी महंगी बनी हुई हैं.
सेक्टर में दिग्गज कंपनियों की एंट्री
आवासीय अचल संपत्ति बाजार में इस साल ब्रांडेड और भरोसेमंद रियस एस्टेट कंपनियों की मांग तथा आपूर्ति दोनों में और मजबूती देखी गई. टाटा, महिंद्रा, गोदरेज, पीरामल ग्रुप और अडाणी जैसे प्रतिष्ठित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स ने ज्यादा ध्यान खींचा.आवासीय खंड की तरह ही भारतीय रियल एस्टेट के अन्य श्रेणियों मसलन कार्यालय, मॉल, को-वर्किंग, को-लिविंग और औद्योगिक एवं गोदान क्षेत्र में भी एक मजबूत पुनरुद्धार देखा गया.
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कई चुनौतियों से गुजरा रियल एस्टेट सेक्टर
संपत्ति सलाहकार JLL इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक इस साल कार्यालय स्थल की मांग 46 फीसदी बढ़कर 3.82 करोड़ वर्ग फुट हो गया. 2021 में यह 2.62 करोड़ वर्ग फुट था. हालांकि, डिमांड प्री-कोविड यानी 2019 में रिकॉर्ड 4.7 करोड़ वर्ग फुट तक नहीं पहुंच सका. रियल एस्टेट कंपनियों के लिए 2022 बेहतर रहा, क्योंकि पिछले 6 सालों के दौरान उन्हें पुराने नोटों को चलन से हटाने, रेरा (रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण) और GST के कार्यान्वयन, NBFC संकट और महामारी के रूप में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा.
अगर देश में महामारी और महंगाई काबू में रहती है तो कंपनियों को न केवल अपने विकास को दोहराने बल्कि इसे बेहतर बनाने का भरोसा है. पैरामाउंट ग्रुप के मार्केटिंग हेड धीरज बोरा ने कहा कि 2022 रियल एस्टेट बाजार की मजबूती और ग्राहकों की बढ़ती मांग को दर्शाता है.
सेक्टर को मिला फेस्टिव सीजन का सपोर्ट
घर की कीमतों में तेजी के बाद भी लोगों ने घरों में भारी निवेश किया. त्योहारों के दौरान घरेलू निवेश में भी ठोस वृद्धि दर्ज की. उन्होंने कहा कि 2022 के पहले नौ महीनों में प्रवासी भारतीयों के बीच आवास की मांग में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बिक्री में जो वृद्धि का रुझान है, वह अगले साल भी बने रहने की उम्मीद है.
07:17 PM IST